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भाजपा को तीसरी बार सभी सीटें जीतने की गहरी उम्मीद, कांग्रेस को खाता खुलने का पूरा भरोसा

दूसरे चरण के चुनाव में कई राजनीतिक सूरमाओं की प्रतिष्ठा लगी दांव पर

जयपुर/ सवाई माधोपुर। राजस्थान में दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग कल होगी। 13 सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए दोनों ही दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा वोटिंग करने की तैयारी भी की है। पहले दौर में राजस्थान की 12 सीटों पर करीब 6 फीसदी मतदान कम होने से चितिंत दोनों ही पार्टियां कल अपने-अपने पक्ष के मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के लिए योजनाएं बना रही है। विशेष रूप से भाजपा को मतदान गिरने से ज्यादा चिंता है, क्योंकि पिछले लगातार दो चुनाव 2014 एवं 2019 से वह राजस्थान की 25 में से 25 सीटें जीतकर क्लीन सि्वप कर रही है और उसे इस बार इस जीत की हैट्रिक की उम्मीद है। लेकिन पहले चरण के कम मतदान में उसकी उम्मीदों को झटका दिया है। जबकि कांग्रेस हर हाल में इस बार अपना खाता खोलने को लेकर उत्साहित है। राजस्थान में जब भी मतदान प्रतिशत बढ़ता है, तब भारतीय जनता पार्टी को उसका लाभ मिलता है, जबकि जब भी मतदान करता है तो इसका फायदा कांग्रेस को होता है।
दूसरे दौर में शुक्रवार को लोकसभा की जिन 13 सीटों पर मतदान होगा, उसमें उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, बांसवाड़ा, कोटा-बूंदी, जोधपुर, टोंक- सवाई माधोपुर,पाली, जालौर- सिरोही, बाड़मेर, भीलवाड़ा झालावाड़ -बारां एवं चित्तौड़गढ़ शामिल है। दूसरे चरण के मतदान में राजस्थान के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत एवं वसुंधरा राजे, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी व गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी आदि नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर है।
जालोर-सिरोही- पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत इस बार जालौर-सिरोही सीट से कांग्रेस प्रत्याशी है, उनका मुकाबला भाजपा के लुंबाराम चौधरी से हो रहा है। दोनों यहां पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वैभव पिछली बार जोधपुर से चुनाव लड़कर पराजित हुए थे। जबकि भाजपा ने यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे देवजी पटेल का टिकट काटकर चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। पटेल को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उतारा था। लेकिन वह अपना चुनाव हार गए।
झालावाड़-बारां- उधर,वसुंधरा राजे के पुत्र लगातार पांचवीं बार झालावाड़-बारां से चुनाव मैदान में है। उनका मुकाबला राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन से है। यह इलाका वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है। वह खुद पांच बार यहां से सांसद रह चुकी है और दुष्यंत चार बार से सांसद हैं। इस लोकसभा सीट की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा का कब्जा है और जातिगत समीकरण को देखें तो दुष्यंत सिंह मजबूत माने जा रहे हैं।
कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा के अध्यक्ष भाजपा प्रत्याशी ओम बिरला हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में है वह यहां लगातार 10 साल से सांसद है उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रहलाद गुंजल से होगा। गुंजल हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं और कभी वह बिरला के साथ ही भाजपा की राजनीति में सक्रिय थे। लेकिन दोनों में हमेशा राजनीतिक दुश्मनी बनी रही। अब दोनों खुलकर एक दूसरे के सामने हैं।
चित्तौड़गढ़ सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव मैदान में है। वह यहां से लगातार दो बार सांसद रहे हैं और इस बार उन्हें जीत की तिकड़ी लगने की पूरी उम्मीद है। उनका मुकाबला कांग्रेस के उदयलाल आंजना से हो रहा है, जो हाल ही में विधानसभा चुनाव में पराजित हुए थे। विधानसभा चुनाव में चंद्रभान आक्या का टिकट कटवाने को लेकर जोशी को भीतरघात का खतरा है। आक्या ने यहां से निर्दलीय चुनाव जीता है और जोशी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया था। लेकिन बाद में मुख्यमंत्री भजनलाल की मध्यस्थता के बाद वह चुनाव नहीं लड़ने को राजी हो गए। लेकिन वह मन से जोशी के साथ नहीं है।
आदिवासी इलाके बांसवाड़ा सीट पर रोचक मुकाबला हो रहा है। यहां कांग्रेस के बागीदोरा से विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और भाजपा ने उन्हें ही लोकसभा का टिकट देकर मैदान में उतार दिया। कांग्रेस यहां से भारत आदिवासी पार्टी ( बाप) से गठबंधन करना चाहती थी। लेकिन अंतिम समय तक फैसला नहीं करने के कारण उसके उम्मीदवार अरविंद डामोर भी मैदान में रह गए। जबकि बाप से यहां राजकुमार रोत प्रत्याशी हैं। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। दरअसल, नाम वापस लेने के अंतिम दिन कांग्रेस ने बाप को समर्थन की घोषणा करते हुए डामोर को नाम वापस लेने के निर्देश दिए। लेकिन उन्होंने नाम वापस नहीं लिया। अब यहां कांग्रेस ने डामोर को निष्कासित करते हुए बाप को समर्थन की घोषणा तो कर दी,लेकिन उसके प्रत्याशी के मैदान में रहने के कारण भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है। इस लोकसभा सीट पर बाप का अच्छा प्रभाव है तथा उसके अभी तीन विधायक हैं।
उदयपुर लोकसभा सीट पर दो ब्यूरोकेटस के बीच मुकाबला है। भाजपा ने यहां से मन्नालाल रावत को प्रत्याशी बनाया हैं, जो परिवहन उपायुक्त रह चुके हैं। जबकि कांग्रेस ने उदयपुर के कलक्टर रह चुके ताराचंद मीना को उम्मीदवार बनाया है। यहां से भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार प्रकाश चंद्र बुझ मैदान में है। इसका फायदा भाजपा को मिलने के आसार है। उदयपुर की आठ में से पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है और आरएसएस के प्रभाव और हिंदू संगठनों की सक्रियता के कारण यहां भाजपा लाभ की स्थिति में है।
जोधपुर लोकसभा सीट में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की प्रतिष्ठा दाव पर है। लगातार दो बार से सांसद शेखावत का मुकाबला यहां कांग्रेस के उम्मीदवार करणसिंह उचियारडा के साथ है। दोनों ही उम्मीदवारों के राजपूत समाज से होने के कारण यहां जाट व बिश्नोई वोटर हार-जीत में भूमिका निभाएंगे। शहरी क्षेत्र में जहां शेखावत मजबूत नजर आते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में करण सिंह का प्रभाव नजर आता है। दोनों ही उम्मीदवार प्रचार अभियान में तीखी बयानबाजी करते रहे हैं। शेखावत पर संजीवनी घोटाले के आरोप को लेकर भी उचियारडा हमलावर रहे हैं।
राजस्थान की सबसे हॉट सीट मानी जा रही बाड़मेर- जैसलमेर में तिकोना मुकाबला हो रहा है। यहां भाजपा ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को मैदान में फिर उतारा है, तो कांग्रेस ने उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। जिन्होंने आरएलपी का दामन छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की थी। लेकिन यहां के चुनाव को निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी ने रोचक बनाने के साथ ही दोनों पार्टियों के लिए तनावपूर्ण भी बना दिया है। 6 महीने पहले भाटी शिव विधानसभा से निर्दलीय चुनाव जीते थे और अब उन्होंने फिर लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में ताल ठोक दी है। त्रिकोणीय मुकाबला होने से मूल ओबीसी, अल्पसंख्यक व एससी -एसटी जीत तय करेंगे,क्योंकि दोनों प्रमुख उम्मीदवार चौधरी और बेनीवाल जाट समुदाय से हैं। इसके वोट बंट जाएंगे। अपनी चुनाव सभाओं में भारी भीड़ लाकर भाटी ने दोनों दलों को चुनौती दी है।*
राजसमंद सीट से भाजपा ने मेवाड़ राजघराने की महिमा विश्वेश्वर को अपना उम्मीदवार बनाया है। पिछली बार यहां से दिया कुमारी विधायक थी,जो अब राजस्थान की उप मुख्यमंत्री है। इसका मकसद राजपूत वोटो का धुर्वीकरण करना है। क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा कब्जा है और खुद महिमा के पति विश्वराज सिंह हाल ही में विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा से विधायक चुने गए थे। कांग्रेस ने पहले जिन दामोदर गुर्जर को भीलवाड़ा से टिकट दिया था। बाद में उन्हें राजसमंद भेज दिया गया और सीपी जोशी को भीलवाड़ा में उम्मीदवार बनाया। गुर्जर इलाके में ज्यादा परिचित नहीं है और इसका कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। जबकि जोशी राजसमंद के नाथद्वारा से विधायक रह चुके हैं।

टोंक-सवाई माधोपुर सीट से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की साख दांव पर है। पायलट खुद टोंक से विधायक हैं,जबकि कांग्रेस में उनके विश्वस्त व उनियारा के विधायक हरिश्चंद्र मीणा को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने यहां से लगातार तीसरी बार सुखबीर सिंह जौनपुरिया को टिकट दिया है। इलाके की 8 में से चार-चार विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा का कब्जा है। यहां गुर्जर और मीणा समुदाय के वोट निर्णायक होते हैं और मुकाबला कांटे का बना हुआ है।
पाली सीट पर भाजपा ने लगातार तीसरी बार पीपी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। जिनका मुकाबला कांग्रेस की संगीता बेनीवाल से है। यहां जाट मुस्लिम और दलित मतदाता चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भाजपा इलाके में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांग रही है,तो कांग्रेस ने परिवर्तन,मंहगाई, बेरोजगारी को मुद्दा बनाया है। यहां विधानसभा की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा काबिज है।
अजमेर लोकसभा सीट पर दो जाट उम्मीदवारों में मुकाबला हो रहा है। भाजपा ने एक बार फिर निवर्तमान सांसद भागीरथ चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला अजमेर डेयरी के 30 साल से अध्यक्ष कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र चौधरी हो रहा है। जाट मतों के विभाजन के बीच इलाके में ओबीसी, एससी-एसटी, मुस्लिम व गुर्जर मतदाता जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। भाजपा ने यहां राष्ट्रवाद, धारा 370 हटाने व मंदिर निर्माण को मुद्दा बनाया है,तो कांग्रेस ने सांसद की नाकामी को मुद्दा बना रही है। भागीरथ चौधरी विधानसभा का चुनाव किशनगढ़ से हार गए थे। लेकिन फिर भी उन्हें पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया है।
भीलवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधानसभा अध्यक्ष रहे सीपी जोशी का मुकाबला भाजपा के दामोदर अग्रवाल से हो रहा है। भाजपा ने यहां से दो बार से लगातार सांसद सुभाष बहेड़िया का टिकट काटा है। जिन्होंने पिछले चुनाव में राजस्थान में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल की थी। सीपी जोशी 2009 में भी यहां से सांसद रह चुके हैं। जोशी विधानसभा चुनावों में नाथद्वारा से पराजित हुए थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें भीलवाड़ा से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया है। भीलवाड़ा को भी भाजपा का गढ़ माना जाता है।
इन सीटों पर टक्कर
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राजनीतिक पर्यवेक्षकों एवं सट्टा बाजार की गणित को माने,तो राजस्थान की जिन सीटों पर टक्कर मानी जा रही है। उनमें जालौर-सिरोही, टोंक-सवाई माधोपुर, जोधपुर,कोटा, नागौर ,झुंझुनू ,दौसा, चूरू और बाड़मेर-जैसलमेर शामिल है। इनमें से कुछ सीटें जीतने की कांग्रेस को उम्मीद है। साभार - ओम माथुर

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